संघी या मय या घृणा से संघी या मय या घृणा से
हमेशा घोड़े पर सवार समझ नहीं आता कैसे चले साथ? जितना प्रयास करती हूँ उतना दूर जाते हो हमेशा घोड़े पर सवार समझ नहीं आता कैसे चले साथ? जितना प्रयास करती हूँ ...
तुम याद आओगे बहुत तुम याद आओगे बहुत
जीते थे आज तक जिन पैसों के लिए आज अपनो के साथ रहना सिखाया! जीते थे आज तक जिन पैसों के लिए आज अपनो के साथ रहना सिखाया!
भूख में धोखा खा कर, शायद पेट भर गया होगा। फल ना सही बारूद सही, भीतर तो गया होगा। भूख में धोखा खा कर, शायद पेट भर गया होगा। फल ना सही बारूद सही, भीतर तो गया हो...
जब घर से निकलते हैं तो एक अलग रूप में ढल जाते हैं दोस्तों के सामने कुछ और दुश्मनो जब घर से निकलते हैं तो एक अलग रूप में ढल जाते हैं दोस्तों के सामने कुछ ...